जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि यदि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाना चाहती तो पांच दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जबतक की ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को पूरा न कर लिया जाए।

नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में आज होगी सुनवाई, ओबीसी आरक्षण पर सरकार देगी जानकारी

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ । इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर आज तक यानि मंगलवार तक रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार को भी आदेश दिया कि 5 दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के आधार पर अंतिम आदेश जारी न करे। कोर्ट ने यह आदेश अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। इस मामले में मंगलवार को पुनः सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इससे पहले सोमवार को प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान करने पर मंगलवार तक रोक लगा दी थी. बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को निकाय चुनाव की अधिसूचना मंगलवार तक जारी करने से रोका था.

न्यायालय के अनुसार ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की गई पूरी

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय की जनहित याचिका पर दिया। याची के वकील शरद पाठक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण (ट्रिपल टेस्ट) की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

याचिका में दी गई ये दलील

याचिका करने वालों की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिये गये निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा और यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है तो एससी व एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए, चुनाव कराए जाएंगे. आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसंबर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया.

ओबीसी को आरक्षण के मुद्दे पर दाखिल हुई याचिका

निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के मुद्दे पर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार से जवाब तलब किया था. ओबीसी को आरक्षण देने के नियमों का पूरा ब्यौरा मंगलवार को पेश होने तक राज्य निर्वाचन आयोग को निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने से रोका था.

कमिश्नरों के साथ बैठक में निकाय चुनाव को लेकर हुआ विचार विमर्श

इससे पहले ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि नगर निकाय चुनाव की घोषणा दो-तीन दिनों के भीतर की जा सकती है. लखनऊ शासन में सोमवार को प्रदेश के सभी कमिश्नरों के साथ बैठक हुई. अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल के साथ कमिश्नरों की बैठक हुई. इसमें स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर विचार विमर्श हुआ. लिहाजा माना जा रहा था कि दो-तीन दिन में निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा संभव हो सकती है. हालांकि अब सारा दारोमदार हाईकोर्ट के रुख पर टिक गया है.

न्यायालय ने दी मेल के जरिए 5 दिसंबर की अधिसूचना पर आपत्तियां दाखिल करने की अनुमति

राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया, जो सुप्रीम कोर्ट की नजीर का पूरी तरह उल्लंघन है। यह भी दलील दी कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने 5 दिसंबर को आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी। इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है। साथ ही याचिका में सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई है। याची के अधिवक्ता ने इन कथित कमियों को दूर करने के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का आग्रह किया।

उधर, सरकारी वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि 5 दिसंबर की सरकार की आरक्षण संबंधी अधिसूचना महज एक अनंरिम आदेश है, जिस पर सरकार ने आपत्तियां मांगी हैं। ऐसे में इससे व्यथित याची व अन्य लोग इस पर अपनी आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं। इस तरह अभी यह याचिका समय पूर्व दाखिल की गई है।

इस पर कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए ग्रहण करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि मंगलवार तक चुनाव की अधिसूचना न जारी करे। साथ ही कोर्ट ने याची व अन्य व्यथित लोगों को ई-मेल के जरिए प्रश्नगत 5 दिसंबर की अधिसूचना पर आपत्तियां दाखिल करने की अनुमति दे दी है।

तारीखों की घोषणा 15 दिसंबर के बाद ही सम्भव

निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा 15 दिसंबर के बाद की जा सकती है। राज्य निर्वाचन आयोग को नगर विकास विभाग की ओर से निकायों के वार्ड, महापौर और निकाय अध्यक्षों का आरक्षण निर्धारण का इंतजार है। हालांकि हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव के मामले में दाखिल एक याचिका के चलते मंगलवार तक अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा रखी है।

चुनाव संपन्न होने में भी चाहिए30 से 35 दिन का समय -आयोग के विशेष कार्याधिकारी एस के सिंह

सूत्रों के मुताबिक नगर विकास विभाग की ओर से 14 दिसंबर तक आरक्षण का निर्धारण कर रिपोर्ट आयोग को दी जाएगी। उसके बाद आयोग दो से तीन चरणों में चुनाव कराने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से चर्चा करेगा ताकि चुनाव के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो सके। इस तरह आयोग को चुनाव कार्यक्रम जारी करने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है।

आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह का कहना है कि आरक्षण निर्धारण होने के बाद आयोग को चुनाव कार्यक्रम तैयार करने और उस पर उच्च स्तरीय विचार विमर्श जारी करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए। चुनाव संपन्न होने में भी 30 से 35 दिन का समय चाहिए। ऐसे में चुनाव की घोषणा 15 दिसंबर के बाद होने की संभावना जताई जा रही है।

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