वित्त मंत्री का एक घंटे 27 मिनट लंबा बजट भाषण और 45.03 लाख करोड़ का बजट‚ आम लोगों के लिए इसे पूरी तरह समझना बेहद मुश्किल
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
बिजनेश डेस्क नई दिल्ली।
2023 का बजट:7 लाख तक इनकम टैक्स फ्री, सीधे नौकरियों का ऐलान नहीं; 47 लाख युवाओं को स्टायपेंड
निर्मला सीतारमण का पांचवां और मोदी सरकार का दसवां बजट है। एक घंटे 27 मिनट का भाषण। थोड़ा मुश्किल है आपके लिए इतना समय देना। तो 23 पॉइंट्स में 2023 का बजट यहां पढ़िए। इनमें कुछ आंकड़े हैं और कुछ जरूरी पॉलिसी डिसीजन, जिनका आप पर इम्पैक्ट पड़ सकता है।
स्टार्टअप्स के लिए अलग से फंड, 3 साल में 1 करोड़ लोगों को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ने का प्लान
निर्मला सीतारमण ने दो और घोषणाएं कीं। पहला- डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर: इस ओपन सोर्स से किसानों को खाद-बीज से लेकर मार्केट और स्टार्टअप्स तक की जानकारी मिल सकेगी। दूसरा- एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड: इसके जरिए गांवों में युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने का मौका मिलेगा।
बजट में किसानों के लिए कुल जमा 9 बातें कही गई हैं…
- कृषि स्टार्टअप बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनेगा।
- प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का ऐलान।
- किसानों को लोन देने की राशि 20 लाख करोड़ रुपए की गई।
- मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए इंस्टीट्यूट्स ऑफ मिलेट्स बनेगा।
- 2 हजार 200 करोड़ बागवानी की उपज को बढ़ावा देने के लिए।
- खाद-बीज की जानकारी देने के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर।
- अगले 3 साल में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसर्च सेंटर स्थापित होंगे।
- पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप (PPP) मॉडल पर कपास की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
- किसानों के लिए सहकार से समृद्धि प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके जरिए 63 हजार एग्री सोसाइटी को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा।
पैसा कहा से आयेगा और कहा पर खर्च होगा
कहा पर खर्च किया जाता है पैसा
हकीकत : कृषि योजनाओं का बजट लगातार बढ़ाने के बावजूद सरकार उनके लिए अलॉट की गई रकम खर्च नहीं कर पा रही है। 2019-20 में ऐसी योजनाओं पर किया गया असल खर्च उन्हें मिले बजट के मुकाबले 29% कम था। पिछले साल यानी 2022-23 में कृषि योजनाओं के लिए 1,05,710 करोड़ रुपए अलॉट हुए थे। ये 2019 के बाद सबसे कम रकम थी। उसी साल केंद्र ने PM किसान योजना शुरू की थी।
हर साल 11.3 करोड़ किसानों को 6 हजार रुपए दिए
सरकार ने 2019 में PM किसान सम्मान निधि की शुरुआत की। योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपए 3 किश्तों में देना शुरू किया। अब तक करीब 11.3 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
हकीकत : योजना को किसानों ने पसंद तो किया है, लेकिन साल भर में 6 हजार रुपए की राशि बेहद कम है। एक्सपर्ट्स इसे 12 हजार रुपए तक करने की मांग कर रहे हैं।
फसल बीमा के जरिए 1.24 लाख करोड़ रुपए दिए
सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की। इसके तहत फसल नष्ट होने पर किसानों को अब तक 1.24 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
हकीकत : राजस्थान समेत कई राज्यों में किसानों को फसल बीमा के तहत 20 पैसे, 2 रुपए और 10 रुपए दिए गए हैं। ऐसे में इस पर सवाल भी उठ रहे हैं।
किसानों को आसानी से कर्ज और क्रेडिट कार्ड मिला
2015-16 में किसानों को 8.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 18.5 लाख करोड़ रुपए हो गया। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए सरकार नवंबर 2022 तक 4.33 लाख करोड़ का कर्ज दे चुकी है।
हकीकत : इतनी बड़ी संख्या में KCC कार्ड जारी होने के बाद भी किसानों पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 6 सालों में किसानों पर 58% कर्ज बढ़ गया है। नेशनल सैंपल सर्वे NSS की 2021 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 35% लोगों पर कर्ज हैं। इनमें से 10.2% कर्ज गैरसंस्थागत यानी लोकल लेंडर्स से लिए गए हैं।
फसलों की MSP डेढ़ गुना बढ़ाई
सरकार का कहना है कि उसने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में डेढ़ गुना बढ़ोतरी की है। 2013-14 में धान की कीमत 1310 रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन 2022-23 में 2040 रुपए प्रति क्विंटल हो गई।
हकीकत : केंद्र सरकार की शांता कुमार कमेटी के मुताबिक, सरकार केवल 6% उत्पादन ही MSP पर खरीदती है। 94% किसानों का उत्पादन MSP से भी कम रेट पर बिकता है, जिसके कारण किसानों को हर साल लगभग 7 लाख करोड़ का नुकसान होता है।
हर किसान पर 74 हजार रुपए से ज्यादा का कर्ज
साल 2019 में नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के किसानों पर 16.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। वहीं सरकारी एजेंसी NSSO ने बताया कि 2013 में देश के हर किसान पर औसतन 47 हजार रुपए का कर्ज था, जो 2019 में बढ़कर 74 हजार से ज्यादा हो गया। यानी 6 साल में ही एक किसान का कर्ज 58% तक बढ़ गया। तमिलनाडु के किसानों पर सबसे ज्यादा 1.89 लाख करोड़ का कर्ज है। सबसे कम कर्ज दमन और दीव के किसानों पर 40 करोड़ का है।
हर साल 10 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल 10 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। 7 सालों में यह आंकड़ा 75 हजार के पार हो चुका है। इससे पहले 2008 से 2014 के बीच करीब 95 हजार किसानों ने आत्महत्या की थी।
1947 के मुकाबले 230 गुना बढ़ा गेहूं और चावल का स्टॉक
आपदा की स्थिति में लोगों को भूख से बचाने के लिए सरकार अपने पास अनाजों का स्टॉक रखती है। 1947 में जब देश आजाद हुआ था तो सरकार के पास गेहूं और चावल का स्टॉक 2.38 लाख टन था, लेकिन अब यह 230 गुना बढ़ गया है। 1 अगस्त 2022 को सरकार के मुताबिक, गेहूं और चावल का स्टॉक 545.97 लाख टन है।
दुनिया की सबसे बड़ी GDP अमेरिका, कृषि का योगदान सबसे कम
दुनियाभर में अमेरिका की GDP सबसे ज्यादा 23.32 लाख करोड़ डॉलर है, लेकिन कुल GDP में कृषि का योगदान महज 1% है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि विकसित देशों की GDP में सबसे ज्यादा योगदान इंडस्ट्री का होता है। उसके बाद सर्विस सेक्टर का और सबसे कम एग्रीकल्चर सेक्टर का होता है। द वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, भारत की कुल GDP 3.18 लाख करोड़ डॉलर है। इसमें कृषि का योगदान 16.8% है।