- 44 साल में 101 मुकदमे, नाटकीय अंदाज में हुआ माफिया अतीक का अंत
- CM योगी ने लिया एक्शन‚17 पुलिस कर्मी हुए सस्पेंड‚प्रयागराज में इंटरनेट सेवा बन्द
- CM योगी ने हत्या की न्यायिक जांच के आदेश
- अतीक अहमद और अरशद की हत्या के बाद यूपी में धारा 144 लागू
- पुलिस अधिकारियों को फील्ड में निगरानी रखने के दिए गए निर्देश
- प्रदेश के अलग-अलग जिलों में रातभर अधिकारियों ने दी गश्त
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज ।माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का अंत इस तरह होगा ऐसा किसने सोचा होगा। सांसद, चार बार विधायक रहे माफिया अतीक पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उसके ऊपर सौ से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन पहली बार उमेश पाल अपहरण कांड में उसे दोषी ठहराया गया। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के सबसे बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी। अतीक ने क्राइम के दम पर अपनी पहचान बनाई। फिर उसी पहचान के बलबूते राजनीति में एंट्री ली।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया गया। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेेकंड में पहली गोली दागी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकंड तक माफिया भाइयों का काम तमाम हो चुका था।
28 साल की उम्र में विधायक बना तो ताकत हुई दोगुनी‚हर बार हाई प्रोफाइल मर्डर में अतीक का नाम
28 साल की उम्र में विधायक बना तो ताकत दोगुनी हो गई। जो भी सामने आया वो मारा गया। हर हाई प्रोफाइल हत्याकांड में नाम अतीक का आया। एक के बाद एक 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन कभी किसी केस में सजा नहीं हुई। 44 साल बाद 28 मार्च 2023 को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार सजा सुनाई गई। अतीक के साथ मारा गया अशरफ भी अपने भाई के हमेशा साथ रहा। हर बड़े मुकदमे में अतीक के साथ अशरफ नामजद था।
5 बार विधायक, 1 बार सांसद बना अतीक
1991 में यूपी में राम मंदिर की लहर थी। अतीक निर्दलीय ही खड़ा हुआ। उसने भाजपा के रामचंद्र जायसवाल को 15,743 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया। 1993 के चुनाव में भाजपा ने तीरथ राम कोहली को मैदान में उतारा, लेकिन नतीजा नहीं बदला। अतीक अहमद 9,317 वोटों से जीतकर लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचा। कहा जाता है कि इलाके में हर बार बूथ कैप्चरिंग होती, लेकिन कोई भी इसकी शिकायत करने प्रशासन के पास नहीं जाता था।
लगातार तीन बार जीतने के बार मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी में कर लिया था शामिल
लगातार तीन बार जीता तो मुलायम सिंह यादव ने उसे मिलने लखनऊ बुलाया और पार्टी में शामिल कर लिया। इस तरह से अतीक पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले 1996 में उसी इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से विधायक बना। इस बार जीत का अंतर 35,099 का रहा। ये उस वक्त जिले की सबसे बड़ी जीत थी, लेकिन इस जीत के बाद उसका सपा से विवाद हुआ और वह सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल में शामिल हो गया।
विधायक होने के बाद भी मफिया वाली छवि से बाहर नही निकल पाया था अतीक
अतीक धीरे-धीरे एक बड़ा नेता तो बन गया, लेकिन अपनी माफिया वाली छवि से वो कभी बाहर नहीं निकल पाया। बल्कि नेता बनने के बाद उसके अपराधों की रफ्तार और तेज हो गई। यही वजह है कि उसके ऊपर दर्ज अधिकतर मुकदमे विधायक-सांसद रहते हुए दर्ज हुए।
साल 2005 में राजू पाल की हत्या से पहले अतीक पर साल 1989 में चांद बाबा की हत्या, साल 2002 में नस्सन की हत्या, साल 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बताए जाने वाले भाजपा नेता अशरफ की हत्या के आरोप लगे। ऐसा कहा जाता था कि जो भी अतीक के खिलाफ सिर उठाने की कोशिश करता, मारा दिया जाता। अतीक के खिलाफ अब तक 101 मुकदमे दर्ज हैं।
CM योगी ने लिया एक्शन‚17 पुलिस कर्मी हुए सस्पेंड‚प्रयागराज में इंटरनेट सेवा बन्द
Cm Yogi ने हाई लेवल बैठक के बाद 17 पुलिस वालो कों ससपेंड किया गया। ये कर्मी अतीक की सुरक्षा में तैनात थे। सूत्रों के अनुसार, प्रयागराज में इंटरनेट सेवा बंद करने का निर्णय लिया गया।
CM योगी ने हत्या की न्यायिक जांच के आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज की घटना का संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने तीन सदस्य जुडिशल कमिशन (न्यायिक जांच आयोग) के गठन के निर्देश भी दिए है ।
आइए जानते हैं, अतीक और अशरफ के आखिर पलों की वो कहानी जिसने देशभर में खलबली मचा दी
- 1. अतीक अहमद और अशरफ अहमद से शनिवार शाम करीब 7.30 बजे धूमनगंज थाने में एसटीएफ और यूपी एटीएस के अधिकारी ने पूछताछ की। फिर पुलिस सुरक्षा में दोनों भाई उमेश पाल हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार और कारतूस बरामद करने के लिए कसारी मसारी के जंगल ले गए। वहां दो पिस्टल बरामद किए गए जिनमें एक अमेरिकी पिस्टल है। साथ वहां पुलिस को 55 से अधिक कारतूस भी मिले। हथियार बरामदगी के लिए दोनों को लेकर पुलिस टीम तुरंत रवाना हो गई। दोनों भाइयों को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिट लाया जा रहा था ताकि दोनों को फिर से थाने ले जाने से पहले उनकी मेडिकल जांच हो जाए।
- 2. पुलिस का दलबल अतीक और अशरफ को लेकर कॉल्विन अस्पताल पहुंचा। वहां दोनों भाई पुलिस वाहन से नीचे उतरे। दोनों के हाथ एक ही हथकड़ी से बंधे थे। दोनों को पुलिस ने घेर रखा था। दोनों भाइयों पर मीडिया के कैमरे भी चल पड़े।
- 3. अतीक और अशरफ, दोनों पुलिस घेरे में आगे बढ़ रहे थे। तभी मीडिया उनके पास पहुंच गई। अतीक अहमद और अशरफ अहमद धीरे-धीरे बढ़ रहे थे। इस बीच मीडिया के माइक दोनों भाइयों की तरफ बढ़ा।
- 4. मीडिया ने अतीक अहमद और अशरफ अहमद से सवाल करने शुरू कर दिए। पहले दोनों भाई चुप रहे। फिर जब यह पूछा गया कि आप दोनों असद के जनाजे में क्यों नहीं गए? तब अतीक ने मुंह खोला।
- 5. अतीक ने कहा- नहीं गए तो नहीं गए। वो इतना कहकर चुप हो गया। तभी साथ चल रहे छोटे भाई अशरफ बोलने लगा। अशरफ ने अभी इतना ही कहा- मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम… तभी एक हमलावर ने अतीक की कनपटी में गोली मार दी।
- 6. अतीक अहमद के सर पर गोली लगते ही गोलियों की तड़तड़ाहट शुरू हो गई। अगले ही पल अशरफ को भी गोली लग गई और देखते ही देखते दोनों भाई सड़क पर निढाल हो गए।
- 7. गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच पुलिस वाले और मीडिया के लोग इधर-उधर भागने लगे। हैरानी की बात है कि पुलिस वाले भी कोई ऐक्शन लेने की जगह जान बचाते दिखे।
- 8. इधर, दोनों भाइयों को गोलियां मारने के बाद तीनों हमलावरों ने पिस्टल छोड़कर हाथ खड़े कर दिए। वो सभी सरेंडर-सरेंडर बोलने लगे। एक हमलावर सड़क पर पेट के बल लेट गया।
- 9. हमलावरों को सरेंडर की मुद्रा में देखखर पुलिस वालों की हिम्मत बढ़ी। फिर वो हमलावरों की तरफ लपके और तीनों हमलावरों के आसानी से पकड़ लिया।
- 10. धूमनगंज के थाना इनचार्ज तीनों हमलावरों को पुलिस वैन में बिठा लिया और वहां से तुरंत तुरंत वहां से निकल गए।