आशु पंडित की रिपोर्ट
- चंद्रप्रभा बांध जो कभी मछलियों और मगरमच्छों के कुनबे से गुलजार रहा करता था आज अपनी दयनीय स्थिति पर बहा रहा आंसू
- चन्द्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंदर से मगरमच्छों का बांध से गायब होना चिंता का सबब
- 1955 में बरसात के पानी को संरक्षित करने के लिए चंद्रप्रभा बांध का कराया गया था निर्माण
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। जनपद के दक्षिणांचल में नौगढ़ की हसीन वादियों में स्थित चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार विविध प्रकार के वन्यजीवों का बसेरा है। जंगल के बीचो बीच स्थित चंद्रप्रभा बांध जो कभी मछलियों और मगरमच्छों के कुनबे से गुलजार रहा करता था आज अपनी दयनीय स्थिति पर आंसू बहा रहा है। बांध के सूखने के साथ ही हजारों की संख्या में मगरमच्छों का कुनबा अचानक से कहां चला गया जिसकी जानकारी वन विभाग को आज तक नहीं हो पाई। चन्द्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंदर से मगरमच्छों का बांध से गायब होना चिंता का सबब बना हुआ है।
काशी वन्यजीव प्रभाग का चंद्रप्रभा वन्य जीव अभ्यारण 78 वर्ग किलोमीटर में फैला
काशी वन्यजीव प्रभाग का चंद्रप्रभा वन्य जीव अभ्यारण 78 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। पूर्वांचल का स्वर्ग कहा जाने वाला राजदरी देवदरी जलप्रपात भी इसी का एक हिस्सा है। वर्ष 1955 में बरसात के पानी को संरक्षित करने के लिए चंद्रप्रभा बांध का निर्माण कराया गया था। बांध से निकलने वाला पानी जंगल को चीरते हुए राजदारी जलप्रपात और देव दरी जलप्रपात से होते हुए मैदानी इलाके में स्थित चंद्रप्रभा नदी में जाकर मिल जाता है। पूर्व के वर्षों में बांध के कैचमेंट में संरक्षित पानी में सिंचाई विभाग द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से मछली पालने और उसे बेचने का ठेका दिया जाता रहा। इसके अलावा नदी नाले और तालाबों को छोड़कर रिहायशी इलाकों में पहुंचे मगरमच्छ और उनके बच्चों को वन विभाग द्वारा उन्हें पकड़कर चंद्रप्रभा बांध में ही छोड़ दिया जाता था।
सिंचाई विभाग की लापरवाही से बांध के सुलुस गेट की समय से मरम्मत नहीं होने के चलते बांध का पानी धीरे-धीरे बह जाने के कारण मगरमच्छों का पूरा कुनबा हुआ बेघर
लगातार कई वर्षों में छोड़े गए मगरमच्छों की संख्या बढ़ती गई और उनका कुनबा हजार की संख्या को पार कर गया था। पिछली बरसात तक बांध में विचरण करते मगरमच्छों को देखा जा सकता था। सिंचाई विभाग की लापरवाही से बांध के सुलुस गेट की समय से मरम्मत नहीं होने के चलते बांध का पानी धीरे-धीरे बह गया। जिसके परिणाम स्वरूप मगरमच्छों का पूरा कुनबा बेघर हो गया। बांध में पानी के सूखने के साथ ही मगरमच्छों का कुनबा अचानक से कहां लापता हो गया जिसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है।
जिम्मेदार वन क्षेत्राधिकारी विनोद पांडेय के पास गायब हुए मगरमच्छों का भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं
चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के जिम्मेदार वन क्षेत्राधिकारी विनोद पांडेय के पास गायब हुए मगरमच्छों का भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। ना ही मगरमच्छों की तलाश करने का उनके पास कोई प्लान है। मगरमच्छों के गायब होने की घटना और अभी तक उनके ठिकानों का पता नहीं लग पाना वन रेंजर की लचर कार्यप्रणाली को उजागर करता है। उधर क्षेत्रीय ग्रामीणों की माने तो बांध के सूखने के बाद कुछ मगरमच्छ तो राजदरी देवदरी जलप्रपात के पास बने कुंड में चले गए, तो कुछ आस-पास के गांव में बने पुराने तालाबों को अपना बसेरा बना लिये।
क्या कहते हैं अधिकारी-
काशी वन्यजीव प्रभाग के नवागत डीएफओ रणवीर मिश्रा ने बताया कि चंद्रप्रभा बांध से मगरमच्छों का अचानक से गायब हो जाना चिंता का विषय है। वन विभाग की टीम को मगरमच्छों की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए निर्देशित किया गया है।