गीता प्रेस…धर्म, आस्था और विश्वास का प्रेस। पिछले दिनों काफी वक्त प्रेस सुर्खियों में रहा है। कभी बंद होने की अफवाहों की वजह से तो कभी रामचरितमानस की चौपाई विवाद की वजह से। लेकिन गीता प्रेस इन सबसे परे है। सनातन धर्म की सबसे ज्यादा किताबें प्रकाशित करने वाला गीता प्रेस…इस वक्त शताब्दी वर्ष (100वीं वर्षगांठ) मना रहा है।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। गीता प्रेस सनातन-धर्म की अब तक 92 करोड़ किताबें छाप चुका है, जाे एक रिकॉर्ड है। अकेले इस साल 2 करोड़ 42 लाख किताबें छापी हैं। रामचरितमानस पर राजनीतिक विवाद के बाद से इसकी 50 हजार किताबें ज्यादा बिकी हैं। प्रेस की आय में भी इजाफा हुआ है।
क्या है गीता प्रेस पूरी जानकारी डिटेल‚पूरा गीता प्रेस एक मंदिर नुमा दफ्तर
गोरखपुर का नाम आते ही, जेहन में सबसे पहले दो नाम आते हैं, पहला-गोरखनाथ मंदिर, दूसरा नाम- गीता प्रेस। जो रेलवे स्टेशन से करीब 5 किमी दूरी पर है। पूरा गीता प्रेस एक मंदिर नुमा दफ्तर है, जहां रूटीन का कामकाज भी पूजा-पाठ से कम नहीं है।
फाइनल बाइंडिंग के वक्त जूता-चप्पल उतारकर करते है काम
यहां की दीवारों पर चौपाइयों के साथ गुटका, पान-मसाला और धूम्रपान का इस्तेमाल नहीं करने की सख्त हिदायत दी गई है। छपाई में लगे कर्मचारी किताब की फाइनल बाइंडिंग के वक्त जूता-चप्पल उतारकर काम करते हैं। ताकि पाठकों की श्रद्धा और विश्वास से धोखा न हो। अंदर कैंपस में प्रेस मशीनों के साथ भव्य आर्ट गैलरी भी है। जिसका अनावरण देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था।
15 भाषाओं में 1848 प्रकार की किताबें प्रकाशित
गीता प्रेस में फिलहाल 15 भाषाओं में 1848 प्रकार की किताबें प्रकाशित हो रही हैं। देशभर में प्रेस की 20 ब्रांच हैं। रोजाना गीता प्रेस में 70 हजार किताबें प्रकाशित हो रही हैं, जबकि डिमांड करीब 1 लाख किताब की है।
रोजाना छोटी-बड़ी पुस्तकें मिलाकर कुल 70 हजार किताबें पब्लिश
गीता प्रेस के प्रोडक्शन मैनेजर आशुतोष उपाध्याय बताते हैं कि हम लोग महीने में करीब 500 टन पेपर छापते हैं। रोजाना छोटी-बड़ी पुस्तकें मिलाकर कुल 70 हजार किताबें पब्लिश होती हैं। छपाई के लिए ऑफसेट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वेब ऑफसेट मशीनें भी लगा रखी हैं।
छपाई के लिए 8 ऑफसेट और 2 रंगीन मशीनें
रंगीन छपाई के लिए जापान से मशीनें खरीदी हैं। कुल 8 ऑफसेट और 2 रंगीन मशीनें हैं। बाइडिंग के लिए जर्मनी और इटली की मशीनें लगा रखी हैं। छपाई का सारा काम मशीनों से ही होता है, लेकिन किताबों के कवर को हम मैन्युअल यानी हाथ से ही लगाते हैं। क्योंकि कवर लगाने वाली मशीनों के ग्लू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता है, इसलिए हम ऐसी मशीनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
प्रेस का मुख्य काम धार्मिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार -ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल बताते हैं कि प्रेस का मुख्य काम धार्मिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार करना है। अब नया युग आ गया है, डिजिटल मोड में लोग ज्यादा पढ़ना-लिखना चाहते हैं। इसलिए हम भी अपनी पुस्तकों को वेबसाइट पर डाल रहे हैं, ताकि लोग ऑनलाइन पढ़ सकें। एक ऐप भी बना रहे हैं, जिसकी लॉन्चिंग जल्द करेंगे।
बेवसाइड पर भी 100 से ज्यादा पुस्तकें
वेबसाइट पर हमारी 100 से ज्यादा ऐसी पुस्तकें हैं, जिन्हें आप फ्री डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। जल्द ही 100 और किताबें ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। हम रोज अभी जितनी किताबें पाठकों को उपलब्ध करवा रहे हैं, डिमांड उससे 20 से 25 फीसदी ज्यादा है। जहां तक हमारे रेवेन्यू की बात है, पिछले साल करीब 87 करोड़ रुपए की किताबें बिकीं थीं, इस साल अब तक 111 करोड़ रुपए की किताबें बिक चुकी हैं।
100 वे साल में लक्ष्य 100 करोड़ का लेकिन 111 करोड़ की बिकी पुस्तकें
100वें साल को गीता प्रेस ने कितना यादगार बनाया है..? इस सवाल पर लाल मणि तिवारी कहते हैं कि हमने 100वें साल में 100 करोड़ की पुस्तक बेचने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 111 करोड़ रुपए से ज्यादा की पुस्तकें लोग खरीद चुके हैं। ये तब है जब हम मांग के अनुरूप पुस्तकें लोगों को मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं।