सलिल पांडेय
- हाई-टेक (यांत्रिक) युग में रेल हुआ बेलो-टेक युग का विभाग।
- नटवा अंडरपास के नाले पर खड़ी है कार्पेट कम्पनी : इसलिए जाम की होती है घटना अनहोनी।
- पटेंगरा नाला, रेहड़ा चुंगी और दूधनाथ का अंडरपास हुआ जहरनाथ का अंडरपास।
विंध्यधाम की पीड़ा की गाड़ी पर नज़र दौड़ाएं रेलमंत्री
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
मिर्जापुर। नगर के कई रेलवे अंडरपास में बरसाती पानी से आवागमन बाधित होता है। हर वर्ष और हर बरसात में हाय-तौबा मचता है। संचार माध्यमों खासकर सोशल-साइट और अखबारों में इस हायतौबा की खबरें तब तक छपती हैं जब तक पानी के स्वतः निकल नहीं जाता।
रेलवे के अंडरपास : राहगीर हताश, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का इंतजाम जरूरी
रेलवे के अंडरपास में पानी लगने का कारण तो स्पष्ट है कि पानी की निकासी का सिस्टम सही नहीं है। इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जब तक नहीं बनेगा तब तक का हायतौबा लगा रहेगा। चूंकि रेलवे के ब्रिज के दोनों तरफ 50 मीटर तक का आधिपत्य इसी विभाग का होता है। कोई अन्य विभाग यहां कार्य नहीं कर सकता इसलिए रेल विभाग को चाहिए कि वह इस कार्य को तत्काल पूरा करे।
एक ओर विन्ध्य-कॉरिडोर तो दूसरी ओर जलजमाव का जोर
हद तो यह है कि मां विंध्यवासिनी धाम में कई-कई सौ साल से रह रहे लोगों का घर, दुकान, धर्मशालाएं तथा अन्य सरकारी भवन जमीदोंज हो गए, वहीं अटल-चौराहे से बावली चौराहा आने वाले मार्ग में अस्पताल के पास (रेहड़ा चुंगी) का अंडरपास देखकर श्रद्धालु वापस होने के लिए बाध्य होते हैं। यह आदिमयुग का अंडरपास दिखता है क्योंकि उन दिनों इक्के-दुक्के लोगों के पास फोर ह्वीलर होते थे। यहां भी भी मिनी-गङ्गा बरसात के दिनों में बहने लगती हैं। इसी के पास पटेंगरा नाला और दूधनाथ का अंडरपास जहरनाथ का अंडरपास इसलिए है कि जो स्थिति सांप के डँसने से होती है, लोग अस्पताल में ही भर्ती होते हैं, वही स्थिति इस अंडरपास से गुजरने पर अंडर-ट्रीटमेंट होना पड़ता है किसी अस्पताल या डॉक्टर के यहां जाकर।
नटवा में कालीन वाले ने नाली दिया भटवा
यहां एक कार्पेट कम्पनी के नीचे से रेल द्वारा बनाई गई नाली को कॉरपेट वाले ने भटवा दिया है। पहले खाली जमीन थी। कालीन वाले ने जरूर किसी दमदार के यहां कालीन बिछा दी होगी लिहाजा किसी में साहस नहीं कि कम्पनी का होश ठिकाने लगा सके। इसके अलावा पश्चिम ओर पुलिया तक जाकर पानी बहने के लिए बना नाला मिट्टी से पट गया है।