सलिल पांडेय
बैठक सिटी क्लब में हो और दर्शकदीर्घा तथा पत्रकार-दीर्घा भी अवश्य हो
1-बजट बैठक में कुर्सी पर बैठने के लिए हंगामा।
2-कुर्सी कम इसलिए हुई कि 38 सभासदों में एक तिहाई सभासदों के अधिकांश के आदरणीय पतिदेव भी साथ गए थे और कुर्सी पर कब्जा जमा बैठे।
3-ऐसे सभासद नारी-सशक्तिकरण कैसे करेंगे जो अपने घर की महिला सदस्यों को वशीकरण (वश में रहने) के लिए बाध्य हों?
4-विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा, न्यायालय, प्रशासन या अन्य शासकीय विभागों/कम्पनियों में महिलाओं के बगल में उनके घर के सदस्य तो नहीं बैठते?
5-जब महिलाओं को प्रतिनिधि बनाया है तो यह जिम्मेदारी होती है परिवार की कि उन्हें नियमों-कानूनों की जानकारी भी दें।
6-अंगूठा-टेक न रहने दें।
हंगामा बजट पर क्यों नहीं हुआ?
1-98 करोड़ के बजट को घण्टे भर में पास कर देना यह सिद्ध करता है कि बजट के बारे में अध्ययन नहीं किया गया था।
2-अलग-अलग मदों के लिए विस्तृत जानकारी, बीते वर्षों के व्यय का तुलनात्मक अध्ययन और उसके स्वरूप तथा परिणाम पर चर्चा के बाद बजट पारित होना चाहिए था।
बजट कौन पढ़ेगा, इसको लेकर हुआ हंगामा
1-बजट कौन पढ़ेगा, इसको लेकर कतिपय सभासदों ने हंगामा किया।
2-इस हंगामे के स्वर में नगरपालिका के कतिपय कर्मचारियों की आवाज़ प्रतिध्वनित हो रही थी।
3-‘क’ से कबूतर, ‘ख’ से खरगोश स्टाइल में जितना कर्मचारियों ने पढ़ाया था, उतना ही बोल रहे थे कतिपय सभासद।
4-पालिका के कतिपय अधिकारी यदि गलत हैं तो उनके ट्रांसफर के लिए प्रस्ताव आना चाहिए था।
5-यदि सही है और पालिका के कार्यों पर विपरीत असर पड़ सकता है, इसको लेकर पिछले बोर्ड द्वारा रोके गए वेतन के निर्गत करने का प्रस्ताव आना चाहिए था।
6-प्रतीत ऐसा ही हो रहा था कि कतिपय अधिकारियों से खुन्नस खाए वर्तमान तथा रिटायर्ड कर्मियों की ही आवाज़ उठ रही है।
यदि ऐसा ही रहा तो?
1- बजट बैठक में कुर्सी के लिए हंगामा हुआ।
2-लोगों का अनुमान है कि आगामी बैठकों में नाश्ते के लिए हंगामा कहीं न होने लगे।
3-यही सिलसिला चलता रहा तो चाय के लिए हंगामा होने लग सकता है।
हंगामा इस पर होता तो जनता मर-मिट जाती बोर्ड पर
1-पीएम मोदी जी और सीएम योगी जी तथा तमाम वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सफाई अभियान चलाते हैं।
2- स्वाधीनता दिवस तथा गांधी जयंती पर यह देखने का अवश्य मिलेगा।
3-बैठक में इस पर हंगामा होता कि किसी अवकाश के दिन पूरा बोर्ड, सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सफाई अभियान अलग-अलग स्थलों एवं घाटों पर चलाएंगे तो जनता मुग्ध हो जाती।
4-अंडरपास पर जलजमाव के लिए बोर्ड सदस्य बारी-बारी खुद खड़े होकर फिलहाल तत्काल पम्पिंग सिस्टम से जल निकासी कराएंगे तो भी जनता बलैया लेने लगती।
5- इस तरह बोर्ड को सशक्त बोर्ड की छवि बनानी चाहिए।
6-पारदर्शी व्यवस्था के लिए दर्शक और पत्रकार दीर्घा की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
7-पहले ऐसा होता रहा ।
8-न जाने पूर्व में किन कारणों से किसी अध्यक्ष ने यह व्यवस्था खत्म कर दी।
9-आकलन यही लगाते हैं लोग कि पर्दे के पीछे कुछ और व्यवस्था के लिए ऐसा किया गया था।
–