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खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। बहुप्रतीक्षित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन को मंगलवार को हरी झंडी दे दी गई। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत राज्य में शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन होगा. मदरसे समेत सभी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति यही आयोग करेगा. टीईटी की परीक्षा भी आयोग कराएगा. CM योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शिक्षा आयोग के संबंध मे बैठक हुई, जिसमें ये फैसला लिया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एडेड अल्पसंख्यक कॉलेजों और मरदरसों में भी शिक्षकों की भर्ती भी प्रस्तावित शिक्षा सेवा चयन आयोग से ही कराए जाने के निर्देश दिए हैं। यही आयोग ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का आयोजन भी कराएगा।

CM ने की समीक्षा‚ विधानमंडल के आगामी सत्र में कराया जाएगा पारित

सीएम ने मंगलवार को आयोग के स्वरूप और प्रक्रिया की समीक्षा की। विधानमंडल के आगामी सत्र में इसे पारित कराया जाएगा।इससे लंबे समय से विभिन्न स्तर पर हो रही शिक्षक भर्ती का इंतजार भी जल्द समाप्त होगा।आयोग के मसौदे के अनुसार आयोग प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों, अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज के शिक्षकों, सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल व संबद्ध प्राइमरी विद्यालयों में सहायक शिक्षकों, परिषदीय विद्यालयों में सहायक शिक्षकों, अनुदेशकों का चयन करेगा। साथ ही विश्वविद्यालयों से संबद्ध, सहयुक्त अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों और सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों का चयन भी आयोग से किया जाएगा।

मुख्यालय होगा प्रयागराज

यह एक निगमित निकाय होगा और इसका मुख्यालय प्रयागराज में होगा। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि कैबिनेट ने नए आयोग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के प्रभावी होने पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड समाप्त हो जाएंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक विभिन्न विभागों में शिक्षकों के चयन के लिए संस्था स्तर की चयन समिति, चयन बोर्ड, चयन आयोग की ओर से अलग-अलग चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसको एकरूपता देने, योग्य शिक्षकों व अनुदेशकों के चयन के लिए इस आयोग का गठन किया जा रहा है।

आयोग में सभी वर्गों की होगी भागीदारी

सीएम ने कहा कि आयोग शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत जारी करेगा। चयन परीक्षा, साक्षात्कार के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति कर वह नियुक्ति प्राधिकारी को संस्तुति भेजेगा। नए आयोग के स्वरूप, अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता, आयोग की शक्तियों और कार्यों की रूपरेखा तय करते हुए जल्द ही उसका प्रस्ताव भेजा जाए। विश्वविद्यालयों के कुलपति या भारतीय प्रशासनिक सेवा का अनुभव रखने वाले व्यक्ति को आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। सदस्यों में वरिष्ठ न्यायाधीश और अनुभवी शिक्षाविदों को स्थान दिया जाए। अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला एवं अल्पसंख्यक वर्ग का भी प्रतिनिधित्व हो।

अध्यक्ष के साथ होंगे 12 सदस्य‚ जान ले कैसे हो सकते है सदस्य

प्रदेश सरकार की ओर से गठित नए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक अध्यक्ष और 12 सदस्य होंगे। अध्यक्ष और सदस्य पद संभालने के दिन से तीन साल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक के लिए तैनात होंगे। कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक अध्यक्ष या सदस्य नहीं बन सकेगा। माना जा रहा है कि नए आयोग के अध्यक्ष पद पर कोई वरिष्ठ आईएएस या प्रमुख शिक्षाविद की तैनाती शासन करेगा। वहीं सदस्यों में न्यायिक सेवा व अनुभवी शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व इसमें दिया जाएगा।

जान ले आयोग से जुडे दिशा निर्देश मेंं क्या कहा गया

शिक्षा सेवा आयोग से जुड़े दिशानिर्देश में कहा गया है कि परिषदीय जूनियर बेसिक विद्यालय, अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल, संबद्ध प्राथमिक विद्यालय, अशासकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक जूनियर हाईस्कूल और संबद्ध अल्पसंख्यक प्राथमिक विद्यालय, राजकीय हाईस्कूल या इंटरमीडिएट कॉलेज, अशासकीय सहायता प्राप्त हाईस्कूल या इंटरमीडिएट कॉलेज, राजकीय और सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालय, अशासकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक हाईस्कूल/इंटरमीडिएट कॉलेज में अलग-अलग श्रेणी के शिक्षकों की भर्ती नवीन आयोग से की जानी चाहिए.

पांच हजार से अधिक भर्तियों का होगा रास्ता साफ

नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन पर सबसे ज्यादा निगाहें युवाओं, प्रतियोगी परीक्षार्थियों की लगी हुई थी। प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक वे इसके गठन और नई भर्तियां जारी करने के लिए आंदोलन भी कर रहे थे। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। इसकी वजह से उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक-एक कर सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होता गया लेकिन नए सदस्य नहीं तैनात हुए।

5000 पदों की भर्ती अटकी है‚ 14 लाख से अधिक आवेदक

वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर, टीजीटी-पीजीटी भर्ती के लिए कुल लगभग 5000 पदों के लिए आवेदन लिए जा चुके हैं और भर्ती अटकी हुई है। इसके लिए 14 लाख से अधिक अभ्यर्थी आवेदक हैं। स्थित ऐसी हुई की मामला हाईकोर्ट तक गया, इसके बाद नए आयोग के गठन में तेजी आई। माना जा रहा है कि जल्द ही इसकी अन्य औपचारिकता पूरी कर काम शुरू किया जा सकेगा।

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