सांस्कृतिक संस्था चंद्रप्रभा साहित्यिक मंच के तत्वावधान में मासिक कवि गोष्टी सम्पन्न
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। चंद्रप्रभा साहित्यिक मंच की ओर से रविवार को श्रीआदित्य पुस्तकालय परिसर में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से देश के जवानों के प्रति संवेदना ब्यक्त करते हुए आजादी पर काव्य पाठ को प्रारम्भ किया।
कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आजादी के पहलुओं को उकेरा और प्रस्तुत की एक से बढकर एक रचनाएं
गोष्ठी की शुरूआत अलीयार प्रधान जी द्वारा वाणी वंदना माई विणा वाली तु अनेक रुप वाली हउ- से हुई। काव्य गोष्ठी के पहले पायदान पर आए शिवदास अनपढ-उठै पीर न धरे धीर मन हो माहूर जैसी।व्याकुल मन मनवा से पुछे ऐ आजादी कैसी।
प्रदीप कुमार पाठक -इंकलाब का बिगुल बजा जब गूंज उठी शहनाई रे।वंदे मातरम डोली चढ आजादी आई रे।हरिवंश सिंह बवाल- चारों तरफ है बेरोजगार की आजादी ।ऑफिस में भ्रष्टाचार की आजादी।
बंधु पाल बन्धू-आज भले जो कुछ भी कहलो सबकी अपनी बोली है।
ए आजादी खेल नहीं खुनो की खेली होली है।ज्योति दिवेदी-बाघ क दांत गिने लड़िका,दुर्गा प्रति रुप दिखे महतारी।
राजेश विश्वकर्मा राजू-आए दिन सीमा पर गोलीबारी जारी होतो,सोचो भला ऐसी आजादी किस काम की।
प्रमोद कुमार निर्मल- याद तुमको सदा ए कहानी रहे।वसीमअहमद-एआजादीशहीदोंकि कहानी सुनके आता है आंखों में पानी।
संतोष कुमार धुर्त-रोपहन खेत के गड़ही कईके लगला बोले सिंघाड़ा कईला देश कबाड़ा मिथिलेश सिंह-ई आजादी मिलल बड़ा परेशानी से।। अध्यक्षता बेचई सिंह मालिक व संचालन डॉ हरिवंश सिंह बवाल ने किया ।