[smartslider3 slider=”7″]

सलील पांडेय की रिपोर्ट

  • मिर्जापुर के मामले में 36टीम को लग गए 240 घण्टे
  • पर हाय, कोई नहीं आया हाथ में?
  • लूट का माल खाकर अपराधियों का दिमाग ज्यादा तेज होता दिख रहा

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। हानिप्रद ‘रिफाइंड आयल’ युग में कमजोर होती याददाश्त में भूलने की प्रवृत्ति को रोक पाना कठिन है और इसी में सूचना-महाक्रांति के दौर में हर पल होती अनहोनी घटनाएं एक दिन बाद पुरानी पड़ जाती हैं। याद वे ही रख पाते हैं, जिन्हें कोई काम नहीं, यूं कहें बेरोजगार हैं या इस तरह की घटनाओं से जो पीड़ित हैं अथवा जिनकी रोजी-रोटी का मामला इससे जुड़ा रहता है। इन सब कारणों से यदि कोई आपराधिक घटना हुई और हफ़्ता-दस दिन बीत गया तो भी उसे फ्रीजर में रख दिया जाना स्वाभाविक ही है।

ऐसा ही लग रहा एक्सिस बैंक कांड

कुछ इसी तरह नगर के एक्सिस बैंक के 35 लाख लूट मामले में परिलक्षित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में तो छत्तीस घण्टे के अंदर लुटेरों पर पुलिस भारी पड़ गई और माल-असबाब तथा असलहे के साथ बदमाशों को दबोचकर यह जता गई कि पुलिस को फुलिश नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन मिर्जापुर की घटना में फिलहाल मुख्य अभियुक्त उक्त कथन को ध्वस्त किए हुए हैं तथा जता रहे कि लूट के मुफ्त रकम से वे काजू-पिस्ता-बादाम और घी-दूध-मलाई खाकर दिमाग को ‘वंदे मातरम’ टाइप के बुलेट ट्रेन माफिक बनाए हुए हैं। बस धड़ाधड़ नान-स्टॉप भागते जाना है ताकि पुलिस इस ट्रेन की सवारी न कर सके।

365 दिन और 24 घण्टे राजनीतिक करंट खाती पुलिस कर भी क्या सकती है?

दर-असल हर अपराध में पहले पुलिसको अपराधियों के ‘रिमोट-कंट्रोल’ पर पहले नजर रखनी पड़ती है। किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी ने पुलिस सेवा में ली गई शपथ के तहत कदम उठा लिया तो वह किस ‘लूप-लाईन’ में ठेल दिया जाएगा, कहा नही जा सकता। मुंह लटका कर घर बैठा दिया जा सकता है और उसके बच्चे पूछेंगे कि ‘पिताश्री, आज ड्यूटी पर नहीं जाएंगे क्या?’ अंततः उसे फिर उसी रिमोट कंट्रोल के सहारे अभिशाप से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा ‘रिमोट-मोड’ के सहारे नौकरी करने वालों की ‘बीसों उंगलियां घी में और मुंह घी की कड़ाही में रहता है।’

[smartslider3 slider=”4″]

यदि ऊपर से आर्डर मिल जाए तो ?

दर-असल बहुत सारे अपराधी अपराध में डिप्लोमा तो लेते ही हैं, साथ में अपराध से बचने के लिए डिग्री सर्टिफिकेट के अलावा ‘डी-लिट्’ तक की उपाधि भी हासिल कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में वे अपराध के बाद द्वापर की कथा ‘तक्षक’ सर्प की भूमिका में आ जाते हैं और किसी न किसी इन्द्रासन से लिपट जाते हैं। फिर पुलिस के एक्शन का हर मंत्र बेकार हो जाता है। मिर्जापुर के एक्सिस बैंक के मामले में यदि ऊपर से मन्त्र-जाप की पूरी छूट दे दी जाए तो सफलता ऐसा कदम चूमने लग सकती है कि 15 साल पहले ASP के गनर की हत्या के बाद लूटे गए Ak-47 तक का मामला वर्क आउट हो सकता है। इसी के साथ अन्य दफ़न हुई घटनाओं के भूत प्रकट हो सकते हैं।

[smartslider3 slider=”8″]