सांसद त सांसद विधायक जी के भी फुरसत नाही बाटे‚जनता के दुःख दर्द के बारे में जाने के
अनिल द्विवेदी
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। विधानसभा चकिया कि जनता सरकारी अफसरों से तंग आ चुकी है। किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को जनता की परवाह ही नहीं है। वहीं सबसे अहम बात ये है कि चकिया के सांसद व विधायक दोनों सत्ता दल के है। कोई ये नहीं कह सकता कि मैं मजबूर हूं। जो एक और भी अधिक जटिल समस्या है। चकिया विधानसभा कि जनता अपने आप को फंसी हुई महसूस कर रही है और कहती हैं कि ʺ हे भइया अब ई बतलावा केहर जाई, ऐहर कुंइया ओहर खाई।‘‘
फिर से चुनाव आवे वाला हव‚लेकिन अबकी बार ई पब्लिक है सब जानती है
मतलब सांसद महोदय तो अपने जनता को भूल ही चुके है । हो सकता है आगे चुनाव आने वाला है तब आने भी लगे। लेकिन यह मान कर चलिए इस बार चकिया की जनता उतनी मूर्ख नही है कि जो आप कहेंगे उसी को मान लेगी। यह भी अब तरूण अवस्था से उठकर युवा हो चुकी है और अब तो यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि ʺ ये पब्लिक है सब जानती है‘‘।
बेदाग छवि वाले विधायक जी के भी का पता बा कि विजली गावन में कितना मिलत बा
मारे होनहार चिर परिचित युवाओं के चहेते क्षेत्र में बेदाग छवि वाले विधायक जी जिन्हे हम प्रेम से आचार्य जी कह कर पुकारने में परहेज नही करते कैलाश आचार्य जी विधायक अपने ही देवतुल्य मतदाताओं को भुल से गए। आखिर विधायक जी को जनता से सरोकार रखते तो उन्हें ये पता होता कि क्षेत्र में बिजली कितनी मिल रही है। 18 घंटे बिजली उपभोक्ताओं को मिलने की बात सरकार कह रही है। और मौके पर 8 घंटे भी गाँवों को नसीब नहीं है। स्वच्छता को लेकर नेता जी हांथ में झाड़ू लेकर फोटो खींचकर वायरल कर रहे हैं गांव का सफाई कर्मचारी प्रधान जी के घर सफाई कर घर चला जा रहा है।
गांव में डेंगू हो या मलेरिया हो चाहे चिकनगुनिया ये जनता जाने
गांव में डेंगू हो या मलेरिया हो या चिकनगुनिया ये जनता जाने प्रधान जी को अगले साल फिर परधानी लड़नी है बेरोजगार युवाओं को दारू बांटनी है।
सांसद महोदय अपने क्षेत्र में पांच साल में एक बार भी दर्शन नहीं दिए और विधायक जी को तो रोज दर्शन देकर मीटिंग व बैठक से ही समय नहीं है।
सांसद जी क तब बीती गइले हव‚विधायक जी भी बितईबे करिहें‚जनता अंधेरे में सर्प पकडे या मच्छर
सांसद जी तो बिता लिए विधायक जी भी अपना कार्यकाल पूरा कर ही लेंगे। अब जनता अंधेरे में जाकर सर्प पकड़े या मच्छर।भइया बतलावा केहर जाई , ऐहर कुंइया ओहर खाई।
प्राइवेट वालन क मेहरबानी बा कि नगर तक में बिजली आवत जात कम बा
भ्रष्टाचार का आलम यह है कि गांव में ट्रांसफार्मर से फ्यूज उड़ गया तो बंधवाने के लिए अब सौ से दो सौ हो गया है सरकारी लाइन मैन अपने स्थान पर विधिवत प्राइवेट लोगों को रखकर पैसे देकर काम करा रहे हैं। वैसे भी मान लीजिए कि इससे ही तो उनकी रोजी रोटी भी चल जा रही हैं। और जनता का भी कुछ भला हो ही जा रहा है।
कोई काहू में मस्त। कोई काहू से पस्त। जे जेहि में मस्त वो वोही में पस्त
चाहे सौ लगे या फिर दो सौ काम तो चल ही जा रहा है। सरकारी वाले ही होते तो यह मान कर चला भइया कि बिजली गायब हो गइल त बनिए भी दूसरे ही दिन। इ मान लेवल जाईं त इ सरकारी से नीमन प्राइवेट वाले ही भइया लोगन हवन। इसीलिए चकिया विधानसभा कि जनता अधिकारी और कर्मचारी को अपनी भाषा में कहती हैं कि कोई काहू में मस्त। कोई काहू से पस्त।जे जेहि में मस्त वो वोही में पस्त।
चकिया विधानसभा हुआ एलर्ट मोड में
बताइए देहि कि अब विधानसभा चकिया क भी पब्लिकिया अलर्ट मोड पे हो गइल बा। ऊ अब जाने लगल बा कि केवल चुनाव के जुगाड से काम चले वाला नाही बाटे । आगे के बदे भी जुगाड चाही तबेहि चकिया क किस्मत चमकी। नाही त फिर से पाँच बरिस झेलहि के पडि।