WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
WhatsApp-Image-2024-02-25-at-08.22.10
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.39
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.40
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
previous arrow
next arrow

तीसरी आंख : ताज़ा कलेवा-लोचन की ही प्रजाति का है आलोचक और लुच्चा शब्द

सलिल पांडेय

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान इंदौर-1 से भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ‘जेल के स्थायी निवासी सन्त आसाराम बापू’ की भजनमण्डली में गए और ‘यह प्यार का बंधन है’ तर्ज पर प्यारा-सा भजन सुनाने लगे। इसे लेकर विपक्षी मधुमक्खी बन कर डंक मारने लगे हैं। जबकि उन्हें इस हालत पर इसरो के वैज्ञानिकों की तरह ‘चन्द्रयान’ जैसी दृष्टि रखनी चाहिए।
आलोचकों की बुद्धि को क्या कहा जाए? जानना चाहिए कि आलोचक ‘लोचन’ शब्द से बना है। इसी ‘लोचन’ से ‘लुच्चा’ शब्द बना है। ‘लुच्चा’ भी उसी को कहते हैं जो न देखने वाली चीज को नज़रें धंसा-धँसा कर देखे।

तीसरा खोलते हैं तो सभी जानते यही है कि बवंडर मच जाता है

कायदे से देखा जाए तो कैलाश विजयवर्गीय का नाम देवों के देव महादेव से जुड़ा है। सभी जानते है कि भोले भंडारी के पास तीन आंख है। तीसरा खोलते हैं तो सभी जानते यही है कि बवंडर मच जाता है। प्रलय आ जाता है। इसी तरह एक ‘आंख’ पर भी बवंडर मचता ही है। वैसे ‘आंख मारना’ मुहब्बत की दुकान का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोडक्ट भी माना जाता है।

‘ऊंचे से गिरा अधर में लटका’ मामला है

एक तो चुनाव हवाई जहाज़ की जगह राष्ट्रपिता बापू की तरह पदयात्री बना दिया गया। सो, बापू के नक्शे-कदम पर चलते हुए किसी बापू की ही तो तलाश करनी पड़ेगी। चुनाव में बड़की कुर्सी की आशा में ‘आसा’-धाम तो जाने में कोई हर्ज नहीं। मीन-मेख निकालने वाले मेख के बिगड़े रूप के मक्खी ही कहे जाएंगे । जहां तक ‘राम’ की बात है तो वह तो जन्मते तुलसी बाबा के ‘राम’ शब्द की ट्रू-कॉपी कहे ही जा सकते है। दोनों को मिला देना दूध और पानी के मेल जैसा ही है।

तुलसी बाबा ने भी इस दोस्ती को सराहा है

तुलसी बाबा भी उत्तरकांड में आते-आते दूध और पानी की दोस्ती पर मुग्ध दिखते हैं। आग पर दूध जब जलकर खौलने लगता है और आत्मदाह के लिए आग में समाहित होने लगता है तो पानी के छीटें मारे जाते हैं। दूध अपने जिगरी दोस्त पानी को पाकर टिकट पाए प्रत्याशी की तरह प्रसन्न हो जाता है। कानून की धारा ‘आत्मदाह के प्रयास’ से बचने के लिए तैयार हो जाता है। दूध और पानी की दोस्ती यह भी है कि ‘पव्वा’ भर दूध हो और ढेरों समर्थक जिंदाबाद बोलने लगे तो दोस्त कहे गए पानी को बुलाकर दूध में मिला दिया जाता है। ऐसी स्थिति में सभी के लिए ‘पव्वा-पव्वा’ की व्यवस्था हो जाती है। वरना चुनाव में ‘पव्वा’ पर चुनाव आयोग की तीसरी आंख लग जाती है। बस एक ही दिक्कत है कि जब भीतरघाती कपट की खटाई दूध में पड़ती है तो दोस्ती टूट जाती है। बहरहाल चुनाव में ‘सात खून माफ़’ की छूट तो होनी ही चाहिए।

khabaripost.com
sagun lan
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
WhatsApp-Image-2024-06-22-at-14.49.57
previous arrow
next arrow