- महर्षि दयानन्द सरस्वती का २००वाँ जन्मदिवस फाल्गुन कृष्ण पक्ष दशमी के दिन आर्य समाज मंदिर दीनदयाल नगर में संपन्न
- आयुष मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार डा० दयाशंकर मिश्र “दयालु” मुख्य अतिथि के रूप में हुए शामिल
- इस दौरान मा. विधायक रमेश जायसवाल भी रहे मौजूद
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चंदौली।महर्षि दयानंद सरस्वती का दो सौवां जन्मदिवस आर्य समाज मंदिर दीन दयाल नगर में संपन्न हुआ।इस अवसर पर आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर निःशुल्क चिकित्सक स्वास्थ्य शिविर एवं दवा वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
आयुष मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी दयानंद ने “वेदों की ओर लौटो” का नारा दिया।साथ ही उन्होंने देश में स्वतंत्रता का मंत्र फूका और नारियो के शिक्षा पर विशेष बल दिया।उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षाएं आज पूरी तरह प्रासंगिक हैं और उन्हें आत्मसात कर के ही हम देश और समाज का उत्थान कर सकते है। मंत्री जी ने शिविर में हो रहे स्वास्थ्य शिविर का भी निरीक्षण किया।
संस्कृति को जानना है और उसकी रक्षा करनी है तो पढं सत्यार्थ प्रकाश– विधायक रमेश जायसवाल
विशिष्ठ अतिथि विधायक प०दीनदयाल नगर विधायक रमेश जायसवाल ने कहा कि मैंने सत्यार्थ प्रकाश का अध्ययन किया है और उसका अध्ययन करने से ज्ञात होता है की हमे अपने संस्कृति को जानना है और उसकी रक्षा करनी है तो सत्यार्थ प्रकाश पढ़ना अति आवश्यक है।
लार्ड मैकाले ने यह घोषणा किया था कि किसी देश पर अक्ष्क्षुण राज्य करने के लिए उसकी संस्कृति को बदलना अति आवश्यक – अरुण कुमार आर्य
विशिष्ठ अतिथि के क्रम में विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव गुरु जी ने कहा कि हम सब एक ही ईश्वर के संतान है तो सबके भीतर सहिष्णुता होनी चाहिए।आर्य समाज मंदिर के प्रधान अरुण कुमार आर्य ने कहा कि जब स्वामी दयानंद जी का जन्म हुआ था तब देश अंग्रेजो की ग़ुलामी सह रहा था और लार्ड मैकाले ने यह घोषणा किया था कि किसी देश पर अक्ष्क्षुण राज्य करने के लिए उसकी संस्कृति को बदलना अति आवश्यक है। इसलिए उसने १८३५ में शिक्षा नीति ऐसी बनाई की भारत के लोग देखने में तो भारतीय हो लेकिन वैचारिक दृष्टिकोण से अंग्रेज इसी विचार के विरुद्ध स्वामी दयानंद ने अपनी संस्कृति को जानने एवं वेदों के प्रचार प्रसार में महती योगदान दिया।
स्वामी ने देश में स्वतंत्रता का मंत्र फूंका,बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा विवाह का समर्थन
उन्होंने देश में स्वतंत्रता का मंत्र फूंका,बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा विवाह का समर्थन किया तथा सभी के शिक्षा पर विशेष बल दिया। हिन्दी भाषी न होते हुए भी अपनी सारी पुस्तके हिन्दी में लिखी।आर्यवीर दल के अधिष्ठाता दीपक आर्य ने वक्ता के कड़ी में आर्य वीरदल के तीन मुख्य उद्देश्य है”संस्कृति रक्षा-शक्ति संचय-सेवा कार्य दीपक आर्य ने आर्यवीर साल द्वारा नौगढ़ व सोनभद्र के सुदूर वनो में जाकर यज्ञ व शिक्षा व धर्मांतरण जैसे गंभीर विषय पर हो रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
शिविर में २८० रोगियों का निःशुल्क परीक्षण व दवा वितरण
शिविर में २८० रोगियों का निःशुल्क परीक्षण व दवा वितरण हुआ कार्यक्रम का संचालन आर्य समाज के मंत्री श्री त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने किया तथा अध्यक्षता श्री राम किशोर पोद्दार ने किया। मुख्य वक्ता दामिनी आर्या की पाणिनि कन्या महाविद्यालय तथा यज्ञ का संचालन गायत्री देवी आर्या ने किया।
कार्यक्रम में इनकी भी रही मौजूदगी
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंत्रीजी के पीआरओ गौरव राठी,संतोष सैनी,दामिनी आर्य,सावित्री आर्या,सविता आर्या दीपक आर्य, सन्दीप आर्य, डॉ अजय आर्य,आशीष आर्य, वेद प्रकाश ब्रजवासी,शीतला प्रसाद चंदेल, भरत लाल अग्रवाल, नवनीत गुप्ता, गौरव चौहान, अशोक सैनी, डॉ रूपेश गुप्ता एवं अन्य प्रमुख लोगों की उपस्थिति रही।