WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM

कांग्रेस नेता राहुल गांधी नई मुश्किल में फंस गए हैं. आम चुनावों से साल भर पहले कांग्रेस के लिए ये स्थिति एक बड़े झटके से कम नही है. मोदी सरनेम के मामले में पहले दोषी पाया जाना, फिर सजा मिलना और इसके ठीक अगले दिन सदस्यता का रद्द हो जाना, व्यक्तिगत तौर पर राहुल गांधी के राजनीतिक कैरियर के लिए कई सवाल खड़े कर…

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। वे केरल के वायनाड से सांसद थे। उन्होंने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। इसके बाद गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था।

इस केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार को राहुल को 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक फैसले में कहा था कि अगर कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी पाया गया तो वह संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य होगा। इसी नियम के तहत राहुल की संसद सदस्यता रद्द हुई है।

सदस्यता खत्म होने के बाद नाम बेवसाइड से हटा‚राहुल के समर्थन में देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर ‚कहा ”डरो मत” कैंपेन किया शुरु

संसद सदस्यता खत्म होने के बाद राहुल गांधी का नाम लोकसभा की वेबसाइट से हटा दिया गया है। राहुल ने फैसले के करीब 3 घंटे बाद ट्वीट कर लिखा- मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। इधर, राहुल के समर्थन में देशभर में पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। साथ ही सोशल मीडिया पर ”डरो मत” कैंपेन शुरु किया। इसके साथ ही कांग्रेस ने सोमवार से “संविधान बचाओ” आंदोलन का ऐलान किया है। यह निर्णय शुक्रवार शाम कांग्रेस मुख्यालय में हुई बैठक में लिया गया।

हमारी रगों में शहीदों का खून है, जो इस देश के लिए बहा -प्रियंका गाँधी

मीटिंग के बाद प्रियंका गांधी ने कहा- हमारी रगों में शहीदों का खून है, जो इस देश के लिए बहा है। हम डट कर लड़ेंगे, हम डरने वाले नहीं हैं। राहुल गांधी ने अडाणी-मोदी के संबंधों पर सवाल किया था। सरकार इसका जवाब देना नहीं चाहती। राहुल के खिलाफ एक्शन इसी सवाल का नतीजा है।

राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है।

एक दिन पहले, यानी गुरुवार को सूरत की कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पाया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।

khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
1002375393
Screenshot_24
previous arrow
next arrow

सांसदी जाने के बाद राहुल गाँधी के पास क्या रास्ते बचे है जाने विस्तृत रूप से

  • राहुल की संसद सदस्यता खत्म करने के फैसले को क्या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
  •  राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।
  • इसे 2022 के आखिरी महीनों में यूपी की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के केस के उदाहरण से भी समझ सकते हैं।
  • 27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के केस में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। इसके ठीक अगले दिन यूपी विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके अगले ही दिन चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया कि 10 नवंबर को उप चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।
  • आजम इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। उनकी दलील थी कि अयोग्य करार देने, सीट खाली करने और उप चुनाव के लिए शेड्यूल जारी करने में इतनी तेजी उचित नहीं, वो भी तब जब कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील सुनी जानी है।
  • आजम की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, विधानसभा सचिव और यूपी सरकार से सवाल पूछा कि मामले में इतनी तेजी क्योंं दिखाई जा रही है। आजम को सांस लेने का मौका दिया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पीठ ने सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशन कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खान की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि बाद में सेशन कोर्ट ने आजम खान के कन्विक्शन पर कोई राहत नहीं दी।
  • यानी आजम की तरह राहुल गांधी भी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
  • अगर हायर कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द हो जाती है तो क्या राहुल की सदस्यता बहाल हो जाएगी?
  •  मानहानि मामले में 2 साल की सजा के खिलाफ राहुल गांधी हायर कोर्ट में अपील करेंगे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कहते हैं कि अगर बड़ी कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द कर दे या रोक लगा दे तो उनकी लोकसभा सदस्यता बरकरार रहेगी।
  • कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर दिया जाता है, या फिर उनकी सजा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।
  • इसकी वजह है कि स्पीकर खुद अपने फैसले को नहीं पलटेंगे। हाईकोर्ट या संविधान पीठ का फैसला आया तो वे अपने फैसले को बदल सकते हैं।
  • वहीं अगर ऐसा कोई फैसला आने से पहले वायनाड में उप चुनाव हो गए तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं हो पाएगी।
  • राहुल की सदस्यता जाने के बाद क्या खाली हुई वायनाड सीट पर उप चुनाव होंगे?
  •  हां होंगे, क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव मई 2024 में होने हैं। यानी अभी इसे होने में 6 महीने से ज्यादा का समय है। संविधान के मुताबिक, आम चुनाव होने में अगर 6 महीने से ज्यादा का समय है ताे केरल की वायनाड सीट पर उप चुनाव होगा।
  • अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हुए तो क्या राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ पाएंगे?
  •  राहुल गांधी दो हालातों में ही वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैंं…
  • 1. उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के मूल केस में राहुल की कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे।
  • अभी तक राहुल ने सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना कि चूंकि फैसला 150 पेज का है और गुजराती में है। ऐसे में इसका अनुवाद करवाया जा रहा है।
  • 2. राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे या इसे रद्द कर दे। ये सब कुछ उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो राहुल वायनाड से उप चुनाव लड़ पाएंगे।
  • मौजूदा हालात को देखते हुए इन दोनों विकल्पाें की संभावना कम है। राहुल को कहीं से भी राहत मिलने से पहले उप चुनाव हो सकते हैं।
  • अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली, तो क्या होगा?
  • राहुल की कानूनी लड़ाई दो मोर्चों पर होगी।
  • 1. मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।
  • 2. दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।
  • क्या इससे पहले भी दोषी साबित होने के बाद सांसदों की सदस्यता खत्म हुई है और वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके?
  • देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसदों-विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है…

इंदिरा गांधी की भी सांसदी खत्म हुई थी, क्या अपनी दादी की तरह इतिहास दोहराएंगे राहुल गांधी?

राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता खत्म होने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा हो रही है कि यह मौका उनके लिए आपदा में अवसर है. राहुल की दादी की भी संसदीय सदस्यता खत्म की गई थी जिसके बाद उन्होंने जोरदार तरीके से वापसी की थी.

कहा जाता है कि इतिहास बहुत हद तक अपने आपको दोहराता है. चीजें घूम-फिरकर लौटती हैं. राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद फिर ऐसी ही चर्चा हो रही है कि क्या वो अपनी दादी के जैसे इतिहास को दोहरा सकेंगे? केंद्र में एक मजबूत सरकार है. पर राहुल गांधी तीखे बयानों के साथ लगातार हमलावर हैं. इस बीच एक पुराने भाषण के आधार पर एक लोअर कोर्ट मानहानि के मुकदमे में फैसला सुनाकर राहुल गांधी को दोषी ठहरा देती है. दूसरे ही दिन उनकी संसद सदस्यता भी खत्म हो जाती है. कुछ ऐसा ही सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी के साथ हुआ था. जनता पार्टी की सरकार ने इंदिरा गांधी को एक प्रस्ताव पास करके लोकसभा सदस्याता से वंचित कर दिया. यह आदेश इंदिरा गांधी के लिए रामबाण साबित हुआ. इंदिरा गांधी के प्रति ऐसी सहानुभूति पैदा हुई कि उस आंधी में देश की पहली गैरकांग्रेसी सरकार 3 साल में उखड़ गई। लेकिन क्या इस बार भी ऐसा हो सकता है ǃ