सहारा शहर की एग्जिबिशन गैलरी में खड़ी पुरानी स्कूटर और हर गलियारे में उनकी मुस्कराती हुई तस्वीर… यूपी के शोमैन सुब्रत राय की जिंदगी के सफर को समेटने और याद रखने के लिए ये दो पहलू काफी हैं। उनकी मृत्यु के बाद दो बड़े सवाल भी जन्म ले चुके हैं कि आखिर सहारा के अरबों रुपये के साम्राज्य को अब कौन संभालेगा, लाखों निवेशकों की रकम अब कैसे वापस होगी ǃ
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। सुब्रत राय की पहचान यूपी के शोमैन की रही है।उनके कारण ही लखनऊ में फिल्म स्टार्स और क्रिकेटरों का जमावड़ा लगता था। जिसके पार्थिव शरीर को बुधवार शाम को विशेष विमान से मुंबई से लखनऊ लाया गया और सहारा शहर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। सहारा शहर में उनके पार्थिव शरीर के पहुंचने की सूचना मिलते ही सहारा समूह के कर्मचारी बड़ी संख्या में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। आईडी कार्ड देखकर प्रवेश दिया गया। इसके पहले लखनऊ एयरपोर्ट पर उनके पार्थिव शरीर को लेने के लिए उनके परिजन पहुंचे। सहारा श्री सुब्रत रॉय का मुंबई के एक अस्पताल में मंगलवार की रात निधन हो गया था। मृत्यु की वजह कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट बताई गई है। बीते कुछ महीनों से उनका इलाज चल रहा था। सुब्रत राय कई तरह की बीमारियों से ग्रसित थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
परिचय एक नजर में –
सुब्रत रॉय सहारा (10 जून 1948 – 14 नवम्बर 2023) भारत के एक व्यवसायी तथा सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक, प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष थे। वे ‘सहाराश्री’ के नाम से भी जाने जाते हैं। इण्डिया टू डे ने उनका नाम भारत के दस सर्वाधिक शक्तिसम्पन्न लोगों में शामिल किया था। उन्होने सन् 1978 में सहारा इंडिया परिवार की स्थापना की। सन् 2004 में टाइम पत्रिका ने सहारा समूह को भारतीय रेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बताया था। वे पुणे वॉरियर्स इंडिया, ग्रॉसवेनर हाउस, एमबी वैली सिटी, प्लाजा होटल, ड्रीम डाउनटाउन होटल के मालिक हैं।सहारा श्री एक बंगाली परिवार से सम्बंध रखते है।
सुब्रत राय को यूपी का शोमैन कहना वाजिब
सुब्रत राय को यूपी का शोमैन कहना वाजिब इस लिए हैं क्योंकि उन्होंने लखनऊ जैसे शहर में सियासी रहनुमाओं से लेकर स्टारडम तक को आने को आने को मजबूर कर दिया था। हालांकि उनके बुरे वक्त में सबने उनका साथ छोड़ दिया। सुब्रत राय ने कभी सियासत में आने की रुचि नहीं दर्शाई, लेकिन करीबन हर बड़े राजनेता को अपनी चौखट तक आने को मजबूर कर दिया।
बसपा सरकार में उनपर सरकारी मशीनरी ने चलाया हथौड़ा
बसपा सरकार में उन पर सरकारी मशीनरी ने हथौड़ा भी चला। सपा सरकार में उनकी समृद्धि बढ़ती गयी। सुब्रत राय के साथ उनके भाई जयब्रत राय सहारा समूह को संभालते रहे। इसी तरह सहारा समूह में अपनो खास जगह बनाने वाले ओपी श्रीवास्तव ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
सहारा समूह का करीब 25 हजार करोड़ रुपए सेबी के पास जमा
अगर निवेशकों की बात करें तो सहारा समूह का करीब 25 हजार करोड़ रुपए सेबी के पास जमा है। सेबी लगातार सहारा के निवेशक नहीं होने के दावे करता रहा, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा शुरू किये गये पोर्टल में तमाम दावे आने से यह भ्रम भी समाप्त होता नजर आया। अब देखना यह है कि निवेशकों की रकम को किस तरह जल्दी वापस किया जाएगा।
अंतिम समय में न बेटे साथ थे न ही पत्नी, सभी विदेश में सेटल
सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय बीते कई महीनों से अस्वस्थ थे। करीब दो माह पूर्व वह इलाज के लिए मुंबई गये थे। वह अपने पीछे पत्नी स्वप्ना राय और दो बेटों सुशांतो और सीमांतो को छोड़ गए है। तीनो कई साल से विदेश में हैं।
सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू
करीब एक दशक पूर्व रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाले सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू हुआ। सेबी ने सहारा की दो कंपनियों में जमा निवेशकों की रकम को नियम विरुद्ध तरीके से दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर आपत्ति करते हुए करीब 24 हजार करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई महीने तक सुब्रत राय को जेल में रखा। सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी।
स्कूटर से शुरू किया था कारोबार
बिहार के अररिया जिले के निवासी सुब्रत रॉय ने कोलकाता और गोरखपुर में शिक्षा हासिल करने के बाद वर्ष 1978 में माइक्रो फाइनेंस का कारोबार शुरू किया था। देखते ही देखते सहारा समूह छोटे निवेशकों की कमाई को जमा करने और उनको लुभावने ब्याज पर रकम वापस करने वाला बड़ा समूह बन गया। बाद में सहारा समूह ने रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमाया। वर्तमान में यह समूह इलेक्ट्रिक वाहन, इंश्योरेंस, मीडिया आदि सेक्टर में काम कर रहा है। सहारा के पास लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई में तमाम बेशकीमती संपत्तियां हैं, जिसमें एंबी वैली प्रमुख है।