गर्भावस्था में खून कि कमी जच्चा-बच्चा के लिए खतरनाक
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चंदौली। शरीर में खून की कमी हो जाना बेहद खतरनाक होता है। खास कर तब जब कोई महिला गर्भवती हो। अगर महिला गर्भधारण से ही या उसके पूर्व से ही अपनी सेहत के प्रति जागरूक है तो उसे वह और भविष्य में जन्म लेने वाला बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहेंगे। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय का।
डॉ राय ने कहा कि हर महिला अपने गर्भावस्था के दौरान कई शारीरिक व मानसिक परिवर्तन से गुजरती है। इस स्थिति में गर्भवतियों में खून की कमी की शिकायत हो जाती है | इस दौरान लापरवाही गर्भवती व उसके होने वाले शिशु दोनों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
हीमोग्लोबिन का स्तर अगर 11 प्रतिशत से कम होता है तो उसे एनीमिया (खून कि कमी) है | इसपर अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो मां और बच्चे दोनों की जान को हो सकता है खतरा
राजकीय महिला चिकित्सालय की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ महिमा नाथ ने बताया कि जिले में जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक कुल 28 गर्भवती को खून कि कमी पाई गयी है| गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हीमोग्लोबिन(एचबी) का स्तर ज्यादा होना चाहिए| गर्भवती में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए| अगर 11 प्रतिशत से कम होता है तो इसका मतलब है कि उसे एनीमिया (खून कि कमी) है | इसपर अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है| डॉ महिमा नाथ ने बताया कि हीमोग्लोबिन (खून की मात्रा) ही ऑक्सीजन को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है | खून की कमी से ऑक्सीजन गर्भवती के विभिन्न अंगों और शिशु तक पहुंचने में दिक्कत होती है| गर्भवस्था के दौरान शरीर में खून की ज्यादा जरुरत होती है, ताकि बच्चे का विकास हो सके, जब शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो खून का बनना भी कम हो जाता है| जिससे लाल रक्त नहीं बनते हैं,और खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो जाने से एनीमिया हो जाता है|
ऐनिमिया के मरीज की कहानी उसी की जुबानी‚कैसे हुआ कन्ट्रोल‚डाक्टर की सलाह आई काम
अलीनगर ब्लॉक के डीडीयू नगर की 24 वर्षीय ज्योति ने बताया कि 4 नवंबर 2022 को चौथे महीने के दौरान उसे बहुत चक्कर और कमज़ोर हो गयी थी | राजकीय महिला चिकित्सालय जांच के लिए गयी थी | पता चला कि मेरा हीमोग्लोबिन का स्तर 6.2 प्रतिशत है | ज्योति ने कहा कि खून कि कमी होने का पता चलाने पर डर गई थी | लेकिन डॉक्टर ने भोजन में भरपूर मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां पालक, बथुआ, मेथी और गुड और फल का सेवन शुरू करने का सलाह दिया | यह भी चेताया की ऐसा न करने पर हमारे साथ बच्चे को भी नुकसान हो सकता है| मैं उसी दिन से अपने भोजन में यह सारी चीजें शामिल की| अब न तो थकान होती है न चक्कर आता है| डॉक्टर की निगरानी में हूँ|
ए हो सकते है एनीमिया के लक्षण –
त्वचा, होंठों और नाखूनों का पीला पड़ना
थकान और कमजोरी महसूस होना
सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना
इस पर दें ध्यान नही हो सकती है परेशानी
डॉ महिमा के अनुसार गर्भावस्था के दौरान खून के स्तर को बनाये रखना बहुत जरूरी होता है | इसके लिए पोष्टिक भोजन बेहद जरूरी है| विटामिन-बी की कमी के कारण हीमोग्लोबिन में कमी होती है, इसके लिए विटामिन बी-12 वाले भोजन जैसे-मीट, अंडा और दूध से बने भोजन का होना जरूरी है| इसके अलावा आयरन की कमी के कारण भी एनीमिया हो सकता है| आयरन की कमी को पूरा करने के लिए हरी पत्तीदार सब्जियां, मछली,पालक का साग,साबुत अनाज,बींस,मसूर की दाल,ड्राई फ्रूट्स आदि का सेवन करें| विटामिन-सी की भी पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए | इसलिए विटामिन-सी से युक्त कीवी,टमाटर,अनार,अंगूर,सेब और चुकंदर ये सभी फल शरीर में खून बढ़ाने में मदद करते हैं| गर्भवस्था के दौरान इन पोष्टिक भोजन को आहार में शामिल कर खून की कमी की समस्या से बच सकते हैं| जच्चा और बच्चा को स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन दिया जा सकता है|